मुस्लिम देशों की आपत्ति पर भारत सरकार को लेना पड़ता है फौरन एक्शन; जानिए हमारी 5 बड़ी मजबूरियां
BJP प्रवक्ता नूपुर शर्मा की टिप्पणी पर भारत को अरब देशों के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है। अरब देशों की आपत्ति पर भारत सरकार को लगातार सफाई देनी पड़ रही है। इससे पहले भी दो मामलों में ऐसी स्थिति देखने को मिली थी।
2015 में सांसद तेजस्वी सूर्या ने सऊदी अरब की महिलाओं को लेकर एक ट्वीट किया था। अरब देशों की निंदा के बाद तेजस्वी ने ट्वीट हटाकर सार्वजनिक तौर पर माफी भी मांगी थी।
अप्रैल 2020 में निजामुद्दीन मरकज पर कोरोना फैलाने का आरोप लगा तो अरब देशों ने इसकी आलोचना की। इसके बाद PM नरेंद्र मोदी ने सफाई में कहा था, ‘कोविड-19 जाति, धर्म, रंग, पंथ, भाषा या सीमाओं को नहीं देखता है।’
भास्कर एक्सप्लेनर में जानेंगे कि अरब देशों की आपत्ति पर भारत को इतनी जल्दी कार्रवाई क्यों करनी पड़ती है? इसकी 5 बड़ी वजहे हैं। एक-एक करके सभी से गुजरते हैं...
1. गल्फ देशों के तेल और गैस पर भारत की निर्भरता
पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी ने इसी साल मार्च महीने में संसद में कहा था, ‘भारत में प्रतिदिन कुल 5 मिलियन बैरल तेल की आवश्यकता होती है और इसका 60% गल्फ देशों से आता है। भले ही बीते कुछ सालों में गल्फ देशों पर तेल की निर्भरता कम हुई हो, लेकिन अब भी भारत में खपत होने वाला तेल का बड़ा हिस्सा यहीं से आता है।’
भारत सरकार के नीति निर्माण में तेल कितना अहम है, इसका अंदाजा CAG की रिपोर्ट से लगाया जा सकता है। इसमें बताया गया है कि भारत ने 2020-21 में पेट्रोलियम सब्सिडी पर 37,878 करोड़ रुपए खर्च किए थे। भारत के लिए तेल सिर्फ ट्रांसपोर्ट के नहीं, बल्कि देश की स्ट्रैटेजिक सिक्योरिटी के लिहाज से भी बेहद खास है। यही वजह है कि भारत गल्फ देशों के इमोशनल मुद्दों को लेकर बेहद संवेदनशील है।
2. गल्फ देशों में हैं सबसे ज्यादा भारतीय मजदूर
भारत से बड़ी संख्या में नौकरी की तालाश में लोग गल्फ देशों की ओर जाते हैं। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि गल्फ के सिर्फ 9 देशों में करीब 90 लाख भारतीय मूल के लोग रहते हैं। इनमें से सबसे ज्यादा 35 लाख लोग UAE और 30 लाख लोग सऊदी अरब में रहते हैं। कतर, UAE और सऊदी अरब में भारतीय लोगों के कई बड़े रिटेल स्टोर और रेस्टोरेंट भी हैं। ऐसे में नुपूर शर्मा के बयान के बाद कतर और UAE के सोशल मीडिया पर ‘बॉयकॉट इंडिया’ ट्रेंड करने लगा था। साफ है कि इससे इन देशों में रहने वाले भारतीय कामगारों और उनके बिजनेस पर इसका असर पड़ना तय था।
3. विदेशों से भारत आने वाला पैसे में भी गल्फ देश आगेगल्फ देशों के बयान पर भारत के तुरंत एक्टिव होने की एक वजह विदेशी पैसा भी है। कोरोना काल से पहले 2019-20 में गल्फ देशों में रहने वाले लोगों ने 6.38 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा देश भेजा था। इनमें से 53% पैसा सिर्फ 5 गल्फ देशों- UAE, सऊदी अरब, कतर, कुवैत, ओमान से भारत आया। RBI की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में इस पैसे का सबसे ज्यादा 59% हिस्सा तीन राज्यों महाराष्ट्र, UP और बंगाल में आता है। यही वजह है कि भारत गल्फ देशों के भावनात्मक मुद्दे को हल्के में नहीं लेना चाहता है।
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