Saturday 19 Apr 2025 22:10 PM

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अगर प्लेटलेट कम होने से मौत हुई है तो जब ज्योति के पिता बार बार कह रहे थे तो अस्पताल प्रशासन ने प्लेटलेट क्यों नहीं चढ़ाया ?



                                                            मृतक ज्योति


ज्योति  बड़े ही कातर स्वर में अपने पापा से कह रही थी ...ये लोग मुझे मारने की कोशिश किए थे। अभी पुलिस को फोन करिए...अभी फोन करिए। राजू जीजा को फोन करिए। इन सबको जेल भेजिए। मम्मी कहीं...मम्मी कहीं कहने के बाद उसकी सांसें उखड़ने लगती हैं। आगे उसके मुंह से बोल नहीं निकल पाते। तभी उसमें से कोई कहता है हालत खराब हो रही है। इसकी NISU में भर्ती कराइए।




ये बातें डेंगू मरीज ज्योति वर्मा ने मरने से कुछ घंटे पहले अपने माता-पिता और भाई के सामने मदनानी अस्पताल के स्ट्रेचर पर रो-रोकर कहा था। इस घटना  ठीक 5 घंटे बाद ज्योति की मौत हो जाती है। मौत के बाद मायके पक्ष के लोगों ने अस्पताल में हंगामा किया। मायके और ससुराल पक्ष के बीच मारपीट होने लगी तो अस्पताल प्रशासन ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने दोनों पक्षों को समझाने के बाद मामले को किसी तरह से शांत कराया और शव पोस्टमॉर्टम के लिए स्वरूप रानी नेहरू मेडिकल कॉलेज भेजा।

ज्योति को 25 अक्टूबर को गंभीर अवस्था में मदनानी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसे दौरान का एक वीडियो सामने आया है जिसमें ज्योति ने अपने पति, सास व ससुर पर जान से मारने के प्रयास का आरोप लगाया था।




14 मार्च 2019 को हुई थी शादी


इंस्पेक्टर खुल्दाबाद ने बताया कि ज्योति वर्मा की 14 मार्च 2019 में बेनीगंज निवासी सुजीत वर्मा के साथ शादी हुई थी। सुजीत वर्मा सोने-चांदी का काम करते हैं। ज्योति के भाई जय प्रकाश ने प्रयाग दर्पण   को बताया कि जबसे ज्योति की शादी हुई थी तबसे दहेज के लिए आए दिन उसे प्रताड़ित किया जाता था। आए दिन उसके साथ मारपीट की जाती थी। पिता प्रेम चंद्र जब ज्योति की हालत देखकर उससे पूछते हो वह कसम दिला देती कि पापा रहने दो बिना मतलब लड़ाई होगी।




54 हजार प्लेटलेट्स में भी नहीं कराया था भर्ती


भाई जय प्रकाश ने बताया कि बहन को 21 अक्टूबर को तेज बुखार आया। ससुराल वालों ने काल्वन अस्पताल मैं उसे दिखाया और खून की जांच हुई है। जांच में उसकी प्लेटलेट 54 हजार आई। हालात उसकी डेंगू रिपोर्ट नेगेटिव आई थी। उसे लगातार तेज बुखार आ रहा था। बावजूद इसके ससुराल वालों ने बहन को किसी अच्छे अस्पताल में भर्ती नहीं कराया और न ही ढंग का इलाज कराया।




जब उसकी तबीयत ज्यादा खराब होने लगी तो उसे मैटर्निटी अस्पताल मदनानी में भर्ती करा दिया गया। मदनानी मैनेजमेंट से जब पूछा गया कि उसे हुआ क्या है तो बताया जाता था कि उसे डेंगू हुआ है। डेंगू का इलाज चल रहा है। उसे NISU में डाल दिया गया था और मैनेजर मिलने नहीं दे रहे थे। बस दवाएं मंगवाकर रख लेते थे। ज्योति को खुल्दाबाद स्थित मदनानी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों ने उसकी मौत की वजह दिमाग पर बुखार चढ़ने और प्लेटलेट कम होना बताया है।


प्लेटलेट्स भी मंगवाकर नहीं चढ़ाया


जय प्रकाश का आरोप है कि मेरी बहन की मौत का दोषी अस्पताल भी है। मेरे पिता बार-बार अस्पताल से कहते रहे कि अगर प्लेटलेट्स कम है तो मंगवा लीजिए पर उन्होंने एक भी नहीं सुनी। कहा कि जब प्लेटलेट्स 10 हजार रह जाएगी तब चढ़ाएंगे।  इसके बाद मेरी बहन की तबीयत बिगड़ती गई और उसने आज सुबह 7 बजे दम तोड़ दियाा। SO खुल्दाबाद का का कहना है कि डॉक्टरों ने प्लेटलेट्स कम होने से मौत का कारण बताया है। फिलहाल डेड बॉडी को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। 


मदनानी अस्पताल मैनेजमेंट ने कहा- बहुत सीरियस थी जब भर्ती हुई

मदनानी अस्पताल के चेयरमैन और इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. एमके मदनानी ने बताया कि 25 अक्टूबर की रात 2 बजे ज्योति वर्मा को उनके पति सुजीत वर्मा और उनकी सास ने एडमिट कराया था। अपने साथ डेंगू पॉजिटिव की रिपोर्ट लेकर आए थे, उस समय ज्योति को होश नहीं था और वो कोमा में थीं। उन्होंने कहा, "मेरे बेटे और ICU के इंचार्ज डॉ. सिद्धार्थ ने परिजनों को बता दिया था कि मरीज की हालत बहुत गंभीर है। बचने की उम्मीद कम है। अगर, आप कहीं और ले जाना चाहो तो ले जा सकते हो। पति ने कहा कि नहीं आप भर्ती करके इलाज शुरू करिए।"

एमके मदनानी ने कहा, "हमने उनसे पेपर्स पर दस्तखत भी कराए थे। इसके बाद जांच में प्लेटलेट्स 38 हजार हो गई। बुखार उसके दिमाग में चढ़ गया था। अस्पताल ने अपनी पूरी कोशिश की उसे बचाने की। मुझे इस बात का अफसोस है कि उसे बचाया नहीं जा सका। अस्पताल की तरफ से कोई लापरवाही नहीं हुई है।"

अब वास्तव में सवाल यह उठता है की अगर  प्लेटलेट कम होने से मौत हुई है तो जब ज्योति के पिता बार बार कह रहे थे तो अस्पताल प्रशासन ने प्लेटलेट क्यों नहीं चढ़ाया ? यह तो बिलकुल साफ अलग रहा है यहाँ घोर लापरवाही  हुई है ! स्थानीय  प्रशासन को चाहिए की ऐसे अस्पतालों पर कठोर कार्यवाही  करे !



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