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वाशिंगटन: व्हाइट हाउस ने 2 जिहादियों को सलाहकार किया नियुक्त , एक ने आतंकी प्रशिक्षण लिया है और जेल भी जा चुका है!

वाशिंगटन, 18 मई। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अपने प्रशासन में विवादास्पद नियुक्तियों को लेकर चर्चा में हैं। दरअसल, ट्रंप प्रशासन ने आतंकवाद से जुड़े आरोपों में 13 साल जेल में बिताने वाले पूर्व जिहादी इस्माइल रॉयर को व्हाइट हाउस धार्मिक स्वतंत्रता आयोग के सलाहकार बोर्ड का सदस्य नियुक्त किया है।


इसके अलावा एक अन्य पूर्व जिहादी शेख हमजा यूसुफ को भी इसी बोर्ड का सदस्य नियुक्त किया गया है।


इस्माइल पर 2003 में आतंकवाद से जुड़े अपराधों का आरोप लगा था। इनमें अमेरिका के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश रचने और अलकायदा तथा लश्कर-ए-तैयबा को सहायता देने का आरोप शामिल था।


रिपोर्ट के मुताबिक, 2004 में उसने विस्फोटकों के इस्तेमाल में मदद करने के आरोप भी स्वीकार किए थे। इस मामले में इस्माइल को 20 साल की सजा सुनाई गई थी और वह 13 साल से जेल में है।


इस्माइल का जन्म सेंट लुइस में हुआ था। अमेरिकी न्याय विभाग के अनुसार, इस्लाम धर्म अपनाने के बाद इस्माइल ने बोस्नियाई शरणार्थियों के साथ काम करना शुरू कर दिया।


इसके बाद वह गृह युद्ध लड़ने के लिए बोस्निया चला गया।


रिपोर्ट के अनुसार, इस्माइल 2000 में पाकिस्तान गया, जहाँ वह लश्कर-ए-तैयबा के संपर्क में आया।


इसके बाद उसने वर्जीनिया में लोगों को आतंकी संगठन में शामिल होने के लिए प्रेरित करना शुरू कर दिया। उसे 2017 में जेल से रिहा किया गया।


शेख हमजा कैलिफोर्निया में जैतुना कॉलेज के सह-संस्थापक हैं।


सूत्रों के अनुसार, शेख हमजा हमास और मुस्लिम ब्रदरहुड से जुड़ा हुआ है। उनका कहना है कि 9/11 से 2 दिन पहले यूसुफ ने जमील अल-अमीन के लिए धन जुटाने का कार्यक्रम आयोजित किया था।


अल-अमीन पर एक पुलिस अधिकारी की हत्या का मुकदमा चल रहा था।


लूमर के अनुसार, शेख हमजा पर इस्लामिक जिहादियों और प्रतिबंधित आतंकवादी समूहों से संबंध रखने का आरोप है।


व्हाइट हाउस ने कहा कि इस्माइल वर्तमान में धार्मिक स्वतंत्रता संस्थान में इस्लाम और धार्मिक स्वतंत्रता कार्य दल के निदेशक हैं। 1992 में इस्लाम धर्म अपनाने के बाद, उन्होंने पारंपरिक इस्लामी विद्वानों के साथ धार्मिक विज्ञान का अध्ययन किया है और एक दशक से अधिक समय तक गैर-लाभकारी इस्लामी संगठनों में काम किया है। रॉयर ने धर्मों के बीच शांति को बढ़ावा देने के लिए गैर-लाभकारी संगठनों के साथ काम किया है।


2023 में एक साक्षात्कार में, इस्माइल ने कहा, मुझे लश्कर-ए-तैयबा के लोग पसंद थे। मैं लादेन के सख्त खिलाफ था और अल-कायदा को चरमपंथियों के एक समूह के रूप में देखता था। मुझे बताया गया कि लश्कर-ए-तैयबा एक चरमपंथी समूह नहीं है और वे सऊदी इमाम का अनुसरण करते हैं। मैंने मुसलमानों को लश्कर में शामिल होने और कश्मीर में उनके साथ प्रशिक्षण लेने के लिए प्रोत्साहित किया। प्रशिक्षण बहुत गंभीर नहीं था, यह पर्यटन जैसा अधिक लगा।

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