इलाहाबाद हाईकोर्ट का अहम फैसला "अधिग्रहण या मुआवजे की सहमति के बिना निर्माण न गिराएं"
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- Updated: 3 November, 2023 07:29
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प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी कोर्ट से आशापुर होते हुए संदहा हाईवे के चौड़ीकरण में शामिल याचिकाकर्ताओं के निर्माण को ध्वस्त करने पर रोक लगा दी है और कहा है कि राज्य सरकार बिना अधिग्रहण या लेने की सहमति के निर्माण को ध्वस्त न करे। याचिकाकर्ता से मुआवजा.
कोर्ट ने पूछा कि जमीन अधिग्रहण किए बिना सरकार याचिकाकर्ता को मुआवजा लेने के लिए कैसे मजबूर कर सकती है? यह आदेश न्यायमूर्ति एमके गुप्ता तथा न्यायमूर्ति दोनादी रमेश की खंडपीठ ने नसीर अहमद व अन्य की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है.
नहीं दिया गया जमीन का मुआवजा
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मनीष सिंह का कहना है कि वाराणसी के गोलघर कचहरी स्थित उनके निजी मकान का एक बड़ा हिस्सा सड़क चौड़ीकरण की जद में आ गया है, जबकि जमीन का अधिग्रहण नहीं किया गया है और उचित मुआवजा भी नहीं दिया जा रहा है. याचिकाकर्ता ने किसी भी प्रकार का अतिक्रमण नहीं किया है.
अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता राजीव गुप्ता ने कोर्ट को बताया कि लोक निर्माण विभाग वाराणसी के अधिशाषी अभियंता ने बताया है कि याची के मकान का एक तिहाई हिस्सा चौड़ीकरण में आ गया है और 19 मार्च 2015 के शासनादेश के अनुसार भूमि का मुआवजा दिया जायेगा। दी जाएगी।
कोर्ट ने कहा, यह नहीं बताया कि अधिग्रहण हुआ है या नहीं? बिना अधिग्रहण के किसी की जमीन नहीं ली जा सकती. सरकारी वकील ने कहा कि सरकार का रुख स्पष्ट कर दिया गया है. इसलिए जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं करना चाहता. कोर्ट ने पूछा, यह जानकारी नहीं दी गई कि किस कानून के तहत याचिकाकर्ता को मुआवजा लेने के लिए बाध्य किया जा सकता है.
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