यमुना की ललकार से थर्रा उठी है दिल्ली:आलोक मिश्रा प्रयाग दर्पण दिल्ली की खास रिपोर्ट!
- Posted By: Admin
- खबरें हटके
- Updated: 15 July, 2023 05:55
- 1045
आज यमुना जमना जमुना वहां पहुंच गई जहां कभी बहती थी। लालकिले की सुरक्षा एक ओर सीधे यमुना करती थी तथा शेष ओर पर खाई बनाकर उसे पानी से भरा जाता था। लालकिले के पीछे मुद्रिका मार्ग रिंग रोड की जगह यमुना जल प्रवाहित रहता था। लालकिले को शीतलता, सौंदर्य, भव्यता प्रदान करता था। पुस्ता बांध बनाकर यमुना की भुजाएं बांध दी गई। यमुना को लालकिले से दूर किया गया। जो लालकिला यमुना के किनारे बसाया गया था, उससे किनारा दूर कर दिया गया। कहते है इतिहास अपने को दोहराता है। आज यमुना अपने पुराने मार्ग को तलाश रही है। कहीं कहीं वहां पर पहुंच गई है, चाहे रौद्र रूप लेकर ही सही। आज दिल्ली घबराहट में है। विकास के नाम पर जो जो बिना विचारे या प्रकृति के प्रतिकूल कदम उठाए गए है। उनका हिसाब किताब प्रकृति रखती है और समय पर चुकता करती है। यमुना के साथ किया गया खिलवाड़ भारी पड़ता जा रहा है। अभी भी चेते तो बचाव संभव है, अन्यथा यमुना सबक सिखाएगी।
याद रखना चाहिए कि कालीदेह, कालिया नाग के भय, प्रदूषण, विष को मिटाने, समाप्त करने के लिए उस समय के युगपुरुष कृष्ण को उसमें उतरना पड़ा था। हमने गंगा, यमुना सहित लगभग सभी नदियों की अविरलता निर्मलता पवित्रता को बर्बाद किया है। अब भुगतने को तैयार रहें या तेजी से तत्काल सुधार करें।
यमुना आजादी के लिए ललकार रही है। आजादी के लिए तड़प रही है। आजादी के लिए हाथ पैर मार रही है। आजादी के लिए रौद्र रूप धारण कर रही है। गंगा, यमुना का जन्म स्थल हिमालय भी आजादी के लिए अपने विकराल रूप को दर्शा रहा है। बार बार छोटी बड़ी चेतावनी देता रहा है। आओ मिलकर सोचें और सही दशा और दिशा को अपनाएं।
Comments